संतोष कुमार झा, ताराबाड़ी (अररिया): बहुत नम्रता चाहिए रिश्ते निभाने के लिए। छल कपट में तो सिर्फ महाभारत रची जाती है। उक्त बातें नारी सशक्तीकरण की नजीर बनी गांव की एक सफल महिला की है जो अपने गृहस्थ जीवन को पसीने से सींचकर मुकाम तक ले गई हैं अररिया प्रखंड की किस्मत-खवासपुर पंचायत के वार्ड तीन अंतर्गत काली मंदिर टोला पलासी की शशिकला देवी। महिला होकर भी संयुक्त व परिवार चलाने के नाम से क्षेत्र में पहचान बना चुकी हैं। शशिकला फिलहाल अपने 40 सदस्य वाले परिवार की कुशल नेतृत्व करती हैं। शशिकला शिक्षा के प्रति गंभीर हैं। कर्तव्यनिष्ठ होकर समाज सेवा की भी काम करती हैं।
बताया कि गांव के सभी लोग उन्हें अपने ही परिवार के सदस्य सा लगते हैं। इसके अलावा आशा वर्क्स के रूप में भी उनकी खासी प्रतिष्ठा बनी है। दिन हो या रात समाज में स्वास्थ्य सेवा के प्रति वह काफी गंभीर रहती हैं। सुरक्षित प्रसव के प्रति यह अहम भूमिका निभा रही हैं। खासकर गांव व आसपास की महिलाओं को सशक्त बनाने और जीविकोपार्जन की दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए अहम भूमिका निभा रही हैं। कुशल नेतृत्व के बल पर उनके देवर मधुसूदन चौधरी की पुत्री रूपा चौधरी ने पीजी में यूनिवर्सिटी टाप किया है। शशिकला के अनुसार, उनके परिवार व गांव के लोग शिक्षा के प्रति काफी अग्रसर है।
बता दें कि परिवार के कोई भी निर्णय में शशिकला की सहमति आवश्यक है। इसके कारण महिलाएं सशक्त हो रही हैं। गांव की बच्चियां शिक्षा के प्रति काफी अग्रसर हैं। शशिकला बताती हैं कि महिला शिक्षा के बगैर परिवार व समाज की उन्नति संभव नहीं है। शशिकला के अनुसार पति सेवानिवृत्त प्रोफेसर जनार्दन चौधरी भी उनके समाज व परिवार के प्रति समर्पण की भावना से गदगद हैं। गांव व आसपास की महिलाएं उनकी कार्यकुशलता से प्रेरणा ले रही हैं और आदर्श पर चलकर संयुक्त परिवार चलाने की गुर सीख रही हैं। बताया कि ज्ञान भले ही पुस्तकों से प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन अच्छे संस्कार केवल परिवार ही दे सकता है।