संसू, सिकटी (अररिया): चैतीय नवरात्र को लेकर प्रखंड क्षेत्र में चैतीय दुर्गा पूजा की तैयारी जोरों पर है। जहां प्रखंड क्षेत्र में करीब आधा दर्जन जगहों पर चैती दुर्गापूजा के अवसर पर देवी भगवती की प्रतिमा स्थापित कर पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना होती है। इसमें से कौआकोह पंचायत के बेलबाड़ी में हर वर्ष केवल इसी चैती नवरात्र पर चंडी मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार एवं पूरे विधि विधान के साथ शनिवार को कलश स्थापना कर पूजा प्रारंभ की गई। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी देवी भगवती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है। दूर दूर से श्रद्धालु यहां अपनी मन्नत रखने आते है। इन्ही कारणों से सिकटी क्षेत्र मे बेलबाड़ी चंडी मंदिर का विशेष महत्व है। मंदिर स्थापना का इतिहास
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आज जिस स्थान पर चैतीय नवरात्र के अवसर पर देवी दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है इसी जगह पर वर्षो पूर्व सहरसा के सुर्यानंद झा उर्फ लाल बाबा नाम के एक महात्मा द्वारा इस स्थान 1982 में शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया था। जिसके आयोजन में तत्कालीन ज्योतिषी स्व मधुकांत मिश्रा, स्व महेंद्र नाथ झा,स्व गिरजा नंदन झा,स्व लक्ष्मेश्वर चौधरी,लक्ष्मण मिश्रा, उपेंद्र मिश्रा आदि का मुख्य मुख्य योगदान रहा था।इसके बाद ज्योतिषि स्व राजेश मिश्र भी वर्षो तक मंदिर की व्यवस्था में जुटे रहे थे। उसी साल 1982 में हुए शतचंडी यज्ञ के उपरांत मंदिर की स्थापना हुई। जो आज पक्के भवन के भव्य मंदिर के रूप में परिणत होकर विराजमान है। इसके निर्माण में लाल बाबा को ग्रामीणों का भरपूर योगदान मिला।तब से लेकर आज तक चेती दुर्गा पूजा का प्रत्येक वर्ष आयोजन किया जाता है।
विशेषता
शारदीय नवरात्र की तरह ही इस नवरात्र की भी इस इलाके में काफी महत्व है। दस दिन तक चलने वाले नवरात्र में लोग सात्विक भोजन ही ग्रहण करते है। पूरे नवरात्र के समय मांसाहार व लहसुन, प्याज वर्जित होता है। चंडी मंदिर में देवी भगवती की प्रतिमा की स्थापना पूरे वैदिक मंत्रोच्चार व पूर्ण विधि विधान के साथ की जाती है। चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ ही नवरात्र शुरू हो जाता है। कलश स्थापन के दिन से दशमी तक प्रतिदिन 51 कुमारी को भोजन कराया जाता है। महाष्टमी को एक सौ एकावन कुमारी कन्या को भोजन कराया जाता है। महाष्टमी के रात्रि में महानिशा पूजा का आयोजन होता है। जिसमे गांव सहित पूरे इलाके के हजारों लोग पूरी रात जागरण करते हैं। पूरी रात लोग भजन कीर्तन का आनंद उठाते है। इसके उपरांत श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाते हैं।
क्या कहते हैं पुरोहित व पुजारी
मंदिर के मुख्य पुरोहित पंडित सुरेंद्र नाथ मिश्र व पुजारी बलराम ठाकुर ने जानकारी दी कि इस मंदिर पर आने वाले श्रद्धालुओं को कभी निराश नही लौटना पड़ता है। उनकी मन्नते माता पूरी करती है। इस मान्यता के साथ दूर दूर से लोग इस मंदिर में आस्था के साथ देवी जागरण के समय अपनी मन्नते रखते है। ऐसी मान्यता है कि अपने स्थापना काल से कोई भी श्रद्धालु इस मंदिर से निराश होकर नही लौटा है।
क्या कहते हैं पूजा समिति
मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य कुमोद झा विभूति मिश्र,ताराकांत झा,काशीनाथ झा,मथुरानंद झा बुद्धिनाथ ठाकुर,विश्व नाथ मिश्रा ने बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से पूरे नवरात्र मंदिर की पूजा व्यवस्था की जाती है।मंदिर के उत्तरोत्तर विकास के लिए मंदिर पूजा समिति ²ढसंकल्पित है। लोगों द्वारा जो स्वत: दान दिया जाता है उसे स्वीकार किया जाता है।