कानपुर। प्रमुख संवाददाता
अब रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन के जरिए शहर में कहीं भी हो रहे अवैध निर्माण का पता चल जाएगा। केडीए समेत सभी सरकारी संपत्तियों की ऑनलाइन सुरक्षा हो सकेगी। फौरन सील की कार्रवाई हो सकेगी। मिनटों में यह पता लगाया जा सकेगा कि शहरवासियों को दी गई सुविधाओं और सेवाओं की जमीनों पर अतिक्रमण हुआ है या नहीं। संपत्तियों का सत्यापन भी आसान हो जाएगा।
केडीए उपाध्यक्ष अरविंद सिंह ने रिमोट सेंसिंग साइंटिस्ट के साथ हुई वार्ता के बाद अब तैयार हुई कार्ययोजना को फाइनल कर दिया है। उनका कहना है कि इस आधुनिक तकनीक का सही एवं समुचित इस्तेमाल किया जा सकेगा। प्राधिकरण की संपत्तियों का चिह्नांकन संभव होगा। लेआउट प्लान की डिजिटल इमेज बनाकर जांच हो सकेगी। यह भी पता चल सकेगा कि कहां-कहां केडीए के भूखंड खाली हैं और कहां-कहां अवैध निर्माण हो रहे हैं। खाली भूखंडों से जहां केडीए की आय बढ़ेगी वहीं अवैध निर्माण पर रोक से शहर का सुनियोजित विकास हो सकेगा। केडीए समेत अन्य विभागों द्वारा शहर में कराए गए कार्यों को एक प्लेटफॉर्म पर लाया जा सकेगा।
जगह का नाम डालते ही दिखेगी मौके की स्थिति
इस एप्लीकेशन की खासियत होगी कि शहर के किसी भी स्थान का नाम डालते ही मौके की स्थिति दिखने लगेगी। सेंसिंग सेंटर में अपने आप यह मैसेज आने लगेगा कि किस स्थान पर क्या परिवर्तन या निर्माण किया जा रहा है। सारे आंकड़े उत्तर प्रदेश सेंटर ऑफ इंफॉर्मेटिक्स में खुद अपडेट होंगे। शासन स्तर से भी किसी भी शहर के विकास प्राधिकरणों के अफसरों को फोन करके यह जाना जा सकेगा कि संबंधित सरकारी जमीन या सुविधा में तब्दीली क्यों आ रही है। संपत्तियों की जियो टैगिंग भी आसान हो जाएगी।
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