आज क्रिकेट जगत की सबसे बेहतरीन टीमों में से एक है. पिछले कुछ साल में भारतीय टीम ने क्रिकेट के तीनों ही फॉर्मेट में गजब का प्रदर्शन किया है और एक से एक बड़ी जीत हासिल की है. भारतीय टीम ने वैसे बहुत ही जबरदस्त प्रदर्शन तो किया लेकिन एक मामले में भारतीय टीम को पिछले 7 सालों से निराशा ही हाथ लग रही है.
भारतीय टीम को पिछले 7 साल से नहीं मिली है कोई आईसीसी ट्रॉफी की सफलता: ये निराशा और कोई नहीं बल्कि आईसीसी इवेंट का खिताब अपने नाम करने की है. भारतीय टीम बिना किसी शक और सवाल के पिछले कई सालों से क्रिकेट जगत पर एक तरह से हुकुमत चला रही है. लेकिन जब बात आईसीसी इवेंट के जीतने की आती है, तो वो कुछ रह जाती है. साल 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद भारत अब तक कोई आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीत सका है. 2014 के टी20 विश्व कप में फाइनल तक का सफर पूरा किया, तो 2015 के वनडे विश्व कप में सेमीफाइनल से आगे बढ़ पायी.
भुवनेश्वर कुमार ने बताया कारण क्यों भारतीय टीम नहीं जीत सकी आईसीसी इवेंट: इसके बाद भी भारत का यही सफर जारी रहा जहां 2016 में अपने ही वतन में खेले गए टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में हार कर बाहर हो गया तो 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में हार मिली. जिसके बाद पिछले साल 2019 के विश्व कप के सेमीफाइनल में निराशा हाथ लगी. यानि भारतीय टीम आगे जरूर बढ़ी लेकिन इतना नहीं कि ट्रॉफी को उठा सके. अब तक 7 साल से आईसीसी ट्रॉफी में मिल रही असफलता को भुवनेश्वर कुमार ने कारण बताने की कोशिश की. भुवी ने इस सवाल का जवाब देते हुए इसका कारण टीम का दुर्भाग्य बताया.
हम हर बार खराब किस्मत से हारे: भुवनेश्वर कुमार ने कहा कि 'आखिरी बार हमने 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी. उसके बाद से 3-4 आईसीसी टूर्नामेंट हुए हैं और हमने 2-3 बार फाइनल या सेमीफाइनल में जगह बनाई. 2015 विश्व कप में हम ऑस्ट्रेलिया से सेमीफाइनल में हार गए थे 2019 में तो हम खराब किस्तम का शिकार हुए. हमारे टॉप-3 बल्लेबाज जल्दी आउट हो गए और टीम मैच हार गई. ऐसा बहुत ही कम होता है जब विरोधी ने 250 से कम स्कोर बनाए हैं और टीम इंडिया मैच हार जाए.' इसके बाद भुवी ने कहा कि '2017 चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भी सभी चीजें जसप्रीत बुमराह के नो बॉल फेंकने के बाद बदली. हम एकतरफा अंदाज में हार गए. हम हमेशा बदकिस्मती से हारे. आप एक भी मैच के हार की वजह नहीं बता सकते.'
सनराईजर्स से खेलना करियर का रहा टर्निंग पॉइंट: भुवनेश्वर कुमार ने इसके बाद अपने करियर में सनराईजर्स हैदराबाद की टीम से खेलने को करियर का टर्निंग पॉइंट बताया. जिसको लेकर उन्होंने कहा कि ' मैं यॉर्कर डाल सकता था, लेकिन फिर मैं इसे भूल गया. सनराईजर्स हैदराबाद में वे मुझसे पारी की शुरू में और अंत में गेंदबाजी कराना चाहते थे. 2014 में मैंने 14 मैच खेले, मैंने इस दौरान दबाव से निपटना सीखा और ये टर्निंग पॉइंट रहा. मैंने नयी चीजें सीखी. विशेषकर अंतिम ओवरों में दबाव से निपटना सीखा.' 'एमएस धोनी की तरह मैं खुद को नतीजे के बारे में सोचने से दूर रखने की कोशिस करता हूं और छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देता हूं. इससे इच्छानुसार नतीजा हासिल करने में मदद मिलती है.'