संवाद सहयोगी, सोनपुर :
लॉक डाउन में बंद पड़े रोजी-रोजगार के बीच मिले सरकारी चावल को बेच अधिकतर गरीब कुछ पैसे का जुगाड़ कर रहे हैं। जिस जन वितरण प्रणाली को लेकर अनेक सवाल उठाए जाते रहे हैं, वहीं से प्राप्त सरकारी चावल को कई राशन कार्डधारी खाने के बजाय बाजारों में बेच रहे हैं। सोनपुर में यह ²श्य स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। राशन कार्ड पर परिवार के सदस्यों के हिसाब से पीडीएस दुकानदार कार्डधारी को चावल, गेहूं मुहैया करता है। गेहूं का तो लोग इस्तेमाल कर लेते हैं, चावल बाजार पहुंच जाता। अब तो बाजार जाने की भी जरूरत नहीं। चावल के कुछ बड़े व्यापारियो ने अपना-अपना आदमी रख लिया है। साइकिल सवार ऐसा खरीदार नगर व गांव के गली, मुहल्लों में चावल है चावल की हांक लगाते फिरता है। इधर यह आवाज सुनते उसे पुकारने वालों की संख्या बढ़ती जाती है। कोई दस, कोई बीस किलो तो कोई कब से एकत्र किये एक-एक मन चावल उक्त खरीदार के हाथों बेच देता है। खरीदार इस प्रकार के चावल का कीमत 18 से 20 रुपये प्रति किलो के भाव से चुकता कर अगले विक्रेता की ओर बढ जाता है। इसमें अधिकांशत: पीडीएस से मिला अरवा चावल ही होता है।
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Posted By: Jagran
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