India national cricket team/ भारतीय क्रिकेट टीम
यह आर्टिकल भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के बारे में लिखा गया है. भारतीय क्रिकेट टीम जिसको टीम इंडिया और मेन इन ब्लू के नाम से भी जाना जाता है. भारतीय क्रिकेट टीम को जो संस्था चलाती है उसको बीसीसीआई (BCCI), बोर्ड ऑफ कण्ट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया के नाम से जाना जाता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो संस्था क्रिकेट चलाती है उसको आईसीसी इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के नाम से जाना जाता है. भारतीय क्रिकेट टीम इस समय आईसीसी की पूर्णकालिक सदस्य हैं और टेस्ट वनडे, T20 खेलने का जो स्टेटस है वो टीम इंडिया को मिला हुआ है.
भारत में क्रिकेट के इतिहास के ऊपर अगर एक नजर डालें तो भारत में क्रिकेट को लेकर आने का जो श्रेय जाता है वह यूरोप से आए हुए व्यापारियों को जाता है. 18 वीं सदी में यूरोप से आने वाले व्यापारी ही भारत में क्रिकेट लेकर आए. 1792 के अंदर भारत में पहला क्रिकेट क्लब बनाया गया था. 1932 से पहले इंडियन क्रिकेट टीम का गठन नहीं हुआ था और यह आधिकारिक टीम नहीं बन पाई थी. 1932 में भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड के लॉर्ड्स में अपना पहला टेस्ट मैच खेला और तब भारतीय क्रिकेट टीम विश्व की छठी आधिकारिक रूप से क्रिकेट खेलने वाली टीम बन गई. शुरुआती 50 साल टीम इंडिया के लिए काफी खराब बताए जाते हैं. समय में टीम इंडिया बेहद ही कमजोर टीम आती जाती थी. यह टीम विदेश में बेहद खराब प्रदर्शन करती हुई नजर आई. शुरुआत में अगर बात करें तो 196 टेस्ट में जो टीम इंडिया ने खेले उसके अंदर मात्र 35 टेस्ट मैच में ही टीम इंडिया जीत दर्ज कर पाई लेकिन 1970 का दशक जब आया तो उसके बाद टीम इंडिया को सुनील गावस्कर, विश्वनाथ, कपिल देव जैसे खिलाड़ी मिले और तब टीम इंडिया नए अंदाज में खेलती हुई दिखी.
21वीं सदी में जब क्रिकेट के अंदर वनडे का फॉर्मेट आया. लिमिटेड ओवर क्रिकेट शुरू हुआ. उस समय टीम इंडिया विदेश में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही थी जितना कि वह अपने देश भारत में कर रही थी लेकिन धीमे-धीमे टीम इंडिया की तस्वीर बदली और इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका को विदेश में उसी की जमीन पर हराना शुरु कर दिया. 1983 को भारतीय क्रिकेट का स्वर्णिम दौर बोला जा सकता है जब कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया ने क्रिकेट वर्ल्ड कप के ऊपर कब्जा किया। भारतीय क्रिकेट टीम अभी तक 2 बार आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप के ऊपर कब्जा कर चुकी है.
1983 में कपिल देव की कप्तानी और 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने विश्व कप के ऊपर कब्जा किया था. 2011 में जब टीम इंडिया ने विश्व कप के ऊपर कब्जा किया तो उसके बाद टीम इंडिया विश्व की तीसरी ऐसी टीम बन गई जिसने की एक से ज्यादा बार विश्व कप के ऊपर कब्जा किया है. अभी तक वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम में यह कारनामा कर पाई हैं. साथ ही साथ 2011 में क्रिकेट विश्व कप भारत में जीतने के बाद टीम इंडिया पहली ऐसी टीम बन गई जिसने की अपने घर में हो रहे फाइनल मैच को जीता हो. इंडियन नेशनल क्रिकेट टीम ने अभी तक 2007 का टी20 वर्ल्ड कप जीता है और 2013 के आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के ऊपर भी कब्जा कर रखा है. महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने सभी आईसीसी कप जीत रखे हैं.
नोट- 4 मई 2020 के दिन अगर इंडियन क्रिकेट टीम की आईसीसी टेस्ट रैंकिंग की बात की जाए तो अभी टीम इंडिया टेस्ट रैंकिंग में तीसरे स्थान पर जगह बनाए हुए हैं. अभी टीम इंडिया के वर्तमान कप्तान विराट कोहली हैं. साथ ही टीम इंडिया के हेड कोच रवि शास्त्री बने हुए हैं. तो आइए अब विस्तार से इंडियन क्रिकेट टीम के इतिहास पर बात करते हैं-
कंटेंट टेबल | Content Table
भारतीय क्रिकेट टीम का इतिहास-
1700 से 1918 का इतिहास-
1918 से 1970- आईसीसी टेस्ट क्रिकेट टीम का दर्जा
वनडे क्रिकेट और आईसीसी वर्ल्ड कप में मिली सफलता 1970 से 1985
बीसवीं शताब्दी में भारतीय क्रिकेट टीम- 1985 से 2000
2000 से अभी तक- महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में सफलता, वनडे क्रिकेट में मिली सफलता
2. बीसीसीआई गवर्निंग बॉडी
3. टीम का कलर- इंडियन क्रिकेट टीम जर्सी
4. भारत में क्रिकेट ग्राउंड- लिस्ट ऑफ इंडियन क्रिकेट ग्राउंड
5. कप्तान
6. स्क्वायड- भारतीय क्रिकेट टीम खिलाड़ी
7. कोचिंग स्टाफ
8. टूर्नामेंट का इतिहास- आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप, आईसीसी T20 वर्ल्ड कप, आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी एशिया कप, दूसरे टूर्नामेंट
9. भारतीय क्रिकेट टीम रिकॉर्ड्स
a.भारतीय क्रिकेट टीम टेस्ट,
b. वन डे इंटरनेशनल,
c.T20 इंटरनेशनल के आंकड़े
10. फैन फॉलोइंग
भारतीय क्रिकेट टीम का इतिहास-
भारतीय क्रिकेट टीम का इतिहास अगर आपको जानना और समझना है तो आपको पहले यह समझना होगा कि भारत में क्रिकेट किस तरीके से आया. क्रिकेट भारत का कोई पारंपरिक खेल नहीं था जब भारत में व्यापार करने यूरोप से व्यापारी आए. यूरोप के व्यापारी भारत में क्रिकेट को अपने साथ लेकर आए थे. शुरुआत में यह व्यापारी भारतीय लोगों को क्रिकेट में मात्र मदद करने के लिए साथ रखते थे. यह भारतीय जैसे गेंद को उठाकर लाते थे और यूरोपीय व्यापारियों के खिलाड़ियों की इस खेल में मदद किया करते थे.
1700 से 1918 का इतिहास-
17 वी ईस्वी में जब यूरोप से व्यापारी भारत में आए, तो यह है अपने साथ क्रिकेट के खेल को लेकर आए थे. 1721 में पहली बार इंडिया के अंदर कोई क्रिकेट मैच खेला गया था. 1848 में पारसी समुदाय ने बॉम्बे अब मुंबई के अंदर ओरिएंटल क्रिकेट क्लब की शुरुआत की थी, यह भारत का पहला आधिकारिक क्रिकेट क्लब बोला जा सकता है. शुरुआत में भारत के अंदर जब क्रिकेट शुरू हुआ तो उस समय 1877 तक छुटपुट मैच हुआ करते थे. 1912 तक भारत में धर्म के आधार पर टीम बनाने का काम शुरू हुआ और उस समय पारसी, सिख, हिंदू और मुस्लिम टीम बनाई गई थी. हर साल यह टीमें यूरोपीय टीम के साथ एक बड़ा टूर्नामेंट खेला करती थी. इसके बाद 1900 ईसवी का दौर शुरू हुआ और भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड का दौरा करना शुरू किया। भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज यहीं से शुरू हुई. इस समय टीम इंडिया के अंदर रंजीत सिंह जी, और दिलीप सिंह जी जैसे बड़े खिलाड़ी हुआ करते थे आगे चलकर इन्हीं के नाम पर रणजी ट्रॉफी और दिलीप ट्रॉफी की शुरुआत की गई है. 1911 में भारतीय क्रिकेट टीम अपने पहले आधिकारिक दौरे पर इंग्लैंड के लिए रवाना हुई थी लेकिन यहां पर इंडियन क्रिकेट टीम इंग्लिश काउंटी के साथ मैच खेलती हुई नजर आई. इस दौरे पर भारत ने इंग्लैंड क्रिकेट टीम के साथ कोई मैच नहीं खेला था.
1926 में भारतीय क्रिकेट टीम को इम्पीरियल क्रिकेट काउंसिल का सदस्य बनाया गया और तब भारतीय क्रिकेट टीम ने 1932 में पहला अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेला। इस समय में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान सी के नायडू थे. इस दौर के सीके नायडू सबसे बेहतरीन भारतीय क्रिकेटर रहे. 1932 में भारत और इंग्लैंड के बीच में पहला टेस्ट मैच खेला गया था. इस टेस्ट मैच में टीम इंडिया 158 रनों से हारती हुई नजर आई. 1933 के अंदर भारत में पहली बार एक घरेलू सीरीज का आयोजन किया गया जिसमें कि इंग्लैंड की टीम को भारत खेलने के लिए बुलाया गया था. भारत और इंग्लैंड की पहली घरेलू सीरीज में दो टेस्ट मैच खेले गए थे. पहला बॉम्बे अब मुंबई और दूसरा कोलकाता में खेला गया था. इंग्लैंड की टीम ने यह टेस्ट सीरीज 2-0 से जीत ली थी. 1930 से 1940 के बीच लगातार राष्ट्रीय क्रिकेट में टीम इंडिया संघर्ष करती हुई नजर आई. दूसरे विश्व युद्ध के समय टीम इंडिया ने किसी भी टेस्ट सीरीज में भाग नहीं लिया था. 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ और उसके बाद स्वतंत्र भारत में भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली टेस्ट सीरीज का आयोजन किया। 1947 के बाद भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली टेस्ट सीरीज ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली, जिसमें की 4-0 से भारत को हार का सामना करना पड़ा था. स्वतंत्र भारत में भारत में पहली घरेलू सीरीज वेस्ट इंडीज के खिलाफ 1948 में खेली। पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में वेस्टइंडीज 1-0 जीतने में कामयाब रहा.
1947 के बाद से लगातार 24 टेस्ट मैच खेलने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम को पहली जीत 1952 में प्राप्त हुई, जब इंग्लैंड को मद्रास में हराया गया. इसी साल भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली टेस्ट सीरीज पाकिस्तान से जीतकर रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद लगातार टीम इंडिया ने अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए मेहनत की. 1956 में भारतीय क्रिकेट टीम ने न्यूजीलैंड को हराया। 24 अगस्त 1959 यह तारीख एक ऐतिहासिक तारीखे जब टीम इंडिया इंग्लैंड के अंदर 5-0 से कोई टेस्ट सीरीज हारती हुई नजर आई थी. इस सीरीज में टीम इंडिया एक भी टेस्ट मैच ड्रॉ कराने में भी सफल नहीं रही.
भारतीय क्रिकेट टीम की पहली विदेशी जीत
यहां पर इस तारीख का जिक्र इसलिए किया गया है क्योंकि इसी के बाद टीम इंडिया ने लगातार क्रिकेट के ऊपर मेहनत की और उसी मेहनत का नतीजा 1961 और 62 में नजर आया जब इंग्लैंड को भारत टेस्ट सीरीज के अंदर हार का सामना करना पड़ा था. इसी के बाद न्यूजीलैंड को भी भारतीय क्रिकेट टीम ने अपने घर पर किसी टेस्ट सीरीज में हरा दिया पाकिस्तान के खिलाफ टीम इंडिया सीरीज ड्रॉ करने में कामयाब रही और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी यही कहानी फिर से दोहराई गई. भारत के बाहर पहली टेस्ट जीत की बात करें तो 1967 और 68 में मिली. न्यूजीलैंड के अंदर भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली टेस्ट जीत दर्ज की थी.
1970 का दशक जब शुरू हुआ तो इंडियन क्रिकेट टीम के अंदर कुछ अच्छे स्पिनर गेंदबाज आये और उन्होंने नए सिरे से टीम इंडिया का इतिहास लिखना शुरू किया। बिशन सिंह बेदी, बी एस चंद्रशेखर, श्रीनिवास वेंकटराघवन। इंडियन के टॉप स्पिनर गेंदबाज रहे और साथ ही बल्लेबाजी में सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ जैसे बल्लेबाजों ने टीम इंडिया को बेहतर खेल पेश करने में काफी मदद की. अजीत वाडेकर की कप्तानी में 1971 के अंदर टीम इंडिया ने एक के बाद एक वेस्टइंडीज और इंग्लैंड को हराकर दिखाया। इस दौर में सुनील गावस्कर ने 774 रन वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में बनाए थे और दिलीप सरदेसाई की 112 रनों की पारी भी वेस्टइंडीज के खिलाफ इतिहास लिखती हुई नजर आई थी.
1971 में वनडे क्रिकेट की शुरुआत हुई. वनडे क्रिकेट को लिमिटेड ओवर फॉर्मेट के नाम से भी जाना जाता है जहां पर दोनों ही टीमों के पास सीमित ओवर होते हैं. अच्छा प्रदर्शन करने वाली टीम को यहां पर जीत दर्ज करने का मौका मिलता है. सीमित ओवर क्रिकेट में भी टीम इंडिया की शुरुआत ज्यादा अच्छी नहीं थी अभी तक जिस तरीके खिलाड़ी टीम इंडिया में थे उसके अंदर खिलाड़ी अपनी डिफेंसिव अप्रोच के लिए ज्यादा जाने जाते थे. सुनील गावस्कर जैसे खिलाड़ियों को भी यही समस्या सामने आ रही थी. शुरुआती दो विश्वकप में भारतीय क्रिकेट टीम बेहद खराब प्रदर्शन करती हुई नजर आई. गावस्कर ने पहले विश्व कप में जो कि 1975 के अंदर खेला गया था इसमें 174 गेंदों पर 36 रन की एक पारी खेली थी इंग्लैंड के खिलाफ यह मैच खेला गया था. वनडे क्रिकेट में अभी तक की सुनील गावस्कर ने शायद ही इसे खराब प्रदर्शन किया हो.
1975 के बाद से ही लगातार टीम इंडिया अपने खेल को बेहतर करने के लिए नए और युवा खिलाड़ियों की तलाश में प्रयासरत थी. भारत के अंदर एशियाई पिचों पर टीम इंडिया के स्पिन गेंदबाज़ ज्यादा बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे और साथ ही बल्लेबाज भी रन बनाते हुए नजर आ रहे थे. घर पर बेहतर प्रदर्शन करने का फायदा यह मिला कि 1976 में पोर्ट ऑफ़ स्पेन वेस्टइंडीज में टीम इंडिया ने एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की जिसमें की टीम इंडिया ने 403 रनों का पीछा करते हुए वेस्टइंडीज को हराया था. इस टेस्ट मैच में 112 रन की पारी विश्वनाथ ने खेली थी. नवंबर 1976 में एक बार फिर से टीम इंडिया ने रिकॉर्ड बनाया जब टीम ने 524 रनों पर न्यूजीलैंड के खिलाफ कानपुर में अपनी पारी घोषित की थी. इस टेस्ट मैच में टीम इंडिया पारी की सबसे बड़ी खासियत यह रही थी कि 524 रनों की पारी में किसी भी भारतीय बल्लेबाज ने शतक नहीं लगाया था. इस पारी में छह अर्धशतक भारतीय बल्लेबाजों ने लगाए थे और साथ ही महिंद्र अमरनाथ ने 70 रनों की पारी खेली थी.
1983 क्रिकेट विश्वकप
1980 के दौर में टीम इंडिया नए खिलाड़ियों को लेकर आई जिसमें कि मोहम्मद अजहरुद्दीन, दिलीप वेंगसकर, और साथ ही ऑलराउंडर खिलाड़ियों में कपिल देव और रवि शास्त्री जैसे खिलाड़ियों की एंट्री होती हुई नजर आई थी. इसी का नतीजा यह रहा कि 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम ने वेस्टइंडीज को हराकर विश्व कप जीत लिया। दो बार की विजेता टीम वेस्टइंडीज को हराना निश्चित रूप से टीम इंडिया के लिए बड़ी क्रांति रही. एक तरफ टीम इंडिया ने इसी दौर में विश्वकप के ऊपर कब्जा किया तो वहीं दूसरी तरफ टेस्ट में लगातार टीम इंडिया बेहद शर्मनाक प्रदर्शन कर रही थी इसी दौर में टीम इंडिया ने लगातार 28 टेस्ट मैच एक क्रम में हारने का रिकॉर्ड भी बनाया। 1984 के अंदर टीम इंडिया ने एशिया कप जीता और 1985 में वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ़ क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के अंदर जीती। 1986 के अंदर जब टीम इंडिया ने इंग्लैंड को इंग्लैंड में ही हराया तो यह एक स्वर्णिम दौर था लेकिन इसके बाद अगले 19 सालों तक टीम इंडिया ने कभी भी विदेश में किसी टेस्ट सीरीज के अंदर जीत दर्ज नहीं की थी. इस दौर के अंदर टीम इंडिया में गावस्कर जैसे महान खिलाड़ी थे जिनके नाम टेस्ट क्रिकेट में 34 सेंचुरी हैं. साथ ही यह पहले भारतीय खिलाड़ी रहे जिसने कि 10000 रन बनाए। कपिल देव टीम इंडिया के लिए हाईएस्ट विकेट टेकर बने जिन्होंने की टेस्ट में 434 विकेट लिए. सुनील गावस्कर और कपिल देव इन दोनों खिलाड़ियों की बदौलत इस दौर में टीम इंडिया बेहतर रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रही.
1990 के दौर में टीम इंडिया एक नई शुरुआत हुई जब सचिन तेंदुलकर और अनिल कुंबले जैसे खिलाड़ी टीम में आ चुके थे साथ ही टीम इंडिया में तेज गेंदबाज़ी के अंदर जवागल श्रीनाथ और अमर सिंह जैसे गेंदबाज शामिल किए गए. उस दौर में टीम इंडिया के सबसे तेज गेंदबाज का दर्जा अमर सिंह को प्राप्त हुआ था जिनको कि भारत का फास्टेस्ट bowler उस दौर में बोला गया. टीम इंडिया पूरी तरीके से सचिन तेंदुलकर के ऊपर निर्भर रहती हुई नजर आती थी.
1990 के दौर में टीम इंडिया ने 33 टेस्ट मैच भारत के बाहर खेले लेकिन यहां पर टीम इंडिया कोई भी जीत दर्ज नहीं कर पाई. साथ ही टीम ने 30 टेस्ट मैच अपने घर पर भारत में खेले और यहां पर 17 टेस्ट में जीतने में टीम इंडिया कामयाब रही. 1996 का वर्ल्ड कप एशिया में किया गया था और यहां पर सेमीफाइनल में भारत को श्रीलंका के हाथों से हार का सामना करना पड़ा था. श्रीलंका ने 1996 का विश्व कप जीता. इसके बाद से इंडियन क्रिकेट टीम की तस्वीर बदलती हुई नजर आई जब टीम इंडिया में सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे बल्लेबाजों की एंट्री हुई. सौरव गांगुली आगे चलकर टीम इंडिया के कप्तान बने. अजहरुद्दीन की जगह पर सचिन तेंदुलकर को टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया. 1998 में एक बार फिर से मोहम्मद अजहरुद्दीन को टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया लेकिन 1999 के विश्व कप में हारने के बाद सचिन तेंदुलकर के हाथों में एक बार फिर से टीम इंडिया की कमान सौंप दी गई जहां पर टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका से हारती हुई नजर आई थी.
भारतीय क्रिकेट टीम में मैच फिक्सिंग का दौर
2000 के दौर में टीम इंडिया ने अपना सबसे काला इतिहास का दौर देखा. टीम इंडिया के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के साथ में अजय जडेजा जैसा खिलाड़ी फिक्सिंग के चलते बाहर कर दिए गए. टीम इंडिया पूरी तरीके से बिखरती हुई नजर आ रही थी लेकिन तभी सौरव गांगुली को 2000 में टीम इंडिया की कमान पूरी तरीके से सौंप दी गई. मैच फिक्सिंग के इस दौर को टीम इंडिया का सबसे बुरा दौर बताया गया है. इसमें टीम इंडिया की कमान अब पूरी तरीके से सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले जैसे खिलाड़ियों के हाथ में थी जो मिलजुल कर टीम को चला रहे थे.
2000 से अभी तक- महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में सफलता, वनडे क्रिकेट में मिली सफलता
सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने एक नया इतिहास लिखा. बदली हुई तस्वीर और तकदीर के साथ टीम इंडिया मैदान पर नजर आने लगी थी. 2000 के समय टीम इंडिया के कोच जॉन राइट बनाए गए. यह इंडिया के पहले विदेशी कोच थे. 2001 में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट सीरीज में हराया. यह टेस्ट सीरीज अपने कोलकाता टेस्ट मैच के लिए सबसे अधिक फेमस रही जो फॉलोऑन में खेलते हुए टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को हराया था. इसके बाद टीम इंडिया ने श्रीलंका वेस्टइंडीज और इंग्लैंड जैसी टीमों को हराया.
इंग्लैंड सीरीज में टीम इंडिया ने वनडे क्रिकेट का एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया, जब 325 रनों को चेज करते हुए टीम इंडिया ने फाइनल मैच जीत लिया. नैटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल मैच मोहम्मद कैफ, युवराज सिंह की मदद से जीता गया था. साल 2001 में टीम इंडिया आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की जॉइंट विनर बनी और 2003 के क्रिकेट विश्वकप के फाइनल में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया से खेलती हुई नजर आई थी जहां पर ऑस्ट्रेलिया के हाथों टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था. 2003-2004 के समय टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के अंदर टेस्ट सीरीज ड्रॉ करने में कामयाब रही थी. साथ ही पाकिस्तान के अंदर टेस्ट और वनडे सीरीज जीतने में यह टीम कामयाब रही.
साल 2004 सीनियर खिलाड़ियों की जब खराब हुई फिटनेस
साल 2004 एक बार फिर से टीम इंडिया के लिए मुश्किलों से भरा हुआ साल रहा जब सीनियर खिलाड़ी अपनी फिटनेस को लेकर दिक्कतों में रहती हुए नजर आए. ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान से अपने घर पर हारना टीम इंडिया के लिए बेहद शर्मनाक था, उसी समय ग्रेग चैपल को टीम इंडिया का कोच बनाया गया. सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल के बीच लगातार विवाद रहे और इसी का नतीजा सामने आया कि राहुल द्रविड़ को टीम इंडिया का कप्तान बना दिया गया. युवा खिलाड़ियों की टीम में बेहद कमी थी तो उसी ही समय महेंद्र सिंह धोनी, सुरेश रैना जैसे युवा खिलाड़ी सामने आए.
2005 के विश्व कप में राहुल द्रविड़ सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग ऐसे महान खिलाड़ी शामिल थे. 2006 में टीम इंडिया को पाकिस्तान के अंदर एक सीरीज जीतने का मौका मिला, साथ ही टीम इंडिया ने वनडे क्रिकेट में एक रिकॉर्ड बनाया जिसमें बाद में बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया 17 लगातार वनडे जीतने में कामयाब रही थी.
2007 भारतीय क्रिकेट टीम इतिहास का जादुई पन्ना
साल 2007 टीम इंडिया के लिए अच्छा भी रहा, तो बुरा भी था. 2007 के विश्व कप में टीम इंडिया को बांग्लादेश और श्रीलंका जैसी टीमों के हाथों हार का सामना करना पड़ा। टीम इंडिया के सीनियर खिलाड़ी जिसमें कि सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ भी शामिल थे उनको टीम इंडिया से बाहर किया गया और युवा खिलाड़ियों को 2007 का T20 विश्व कप खेलने के लिए भेजा गया. इरफान पठान, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह, सुरेश रैना, युवराज सिंह जैसे युवा खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका के अंदर 2007 का टी20 विश्व कप खेलने गए थे. महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया यह विश्व कप जीतने में कामयाब रही और इसी टी20 विश्वकप को जीतने के बाद टीम इंडिया एकदम बदलती हुई टीम नजर आई.
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में सफलता, वनडे क्रिकेट में मिली सफलता
2007 के अंदर टीम राहुल द्रविड़ की कप्तानी में इंग्लैंड के अंदर सीरीज जीती थी और उसी के बाद द्रविड़ ने अपनी कप्तानी महेंद्र सिंह धोनी को सौंप दी. महेंद्र सिंह धोनी टीम इंडिया के नए कप्तान बने जिनकी कप्तानी में 2007 के अंदर टीम इंडिया विश्व कप जीतने में कामयाब रही. 2007-008 के अंदर धोनी की कप्तानी में ही टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई और इस विवादित ऐतिहासिक ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर टीम इंडिया को टेस्ट सीरीज में तो हार का सामना करना पड़ा था लेकिन वनडे सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को हराना निश्चित रूप से एक सपने के जैसा था.
अप्रैल 2009 के अंदर 41 साल बाद इंडियन क्रिकेट टीम ने न्यूजीलैंड को उसी के घर पर हराया। और टेस्ट सीरीज जीतने में कामयाब रही. इसके बाद श्रीलंका को 2-0 से दिसंबर 2009 में हराने के बाद टीम इंडिया आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन के पायदान पर आ गई.
2011 में आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में एक बार फिर से टीम इंडिया ने नया इतिहास लिखा, जब 2011 में आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में श्रीलंका को हराने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम ने दूसरी बार क्रिकेट विश्वकप को जीत लिया। गौतम गंभीर और महेंद्र सिंह धोनी की ला-जवाब पारियों के दम पर टीम इंडिया ने श्रीलंका को फाइनल मैच में हराया.
सचिन तेंदुलकर रिटायरमेंट का दौर भी विश्व कप 2011 के बाद आया, जब नवंबर 2013 में 200 टेस्ट मैच खेलते हुए सचिन तेंदुलकर ने रिटायरमेंट की घोषणा की. इसके बाद टीम इंडिया के कई सीनियर खिलाड़ी टीम से दूर होते हुए नजर आए और एक नई टीम इंडिया की तस्वीर सामने आने लगी.
2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी
2013 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में इंडियन क्रिकेट टीम एक बार फिर से इतिहास लिखती हुई नजर आई, जब इंग्लैंड के अंदर उसी टीम को महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में फाइनल के अंदर टीम इंडिया ने हराया. धोनी की कप्तानी में अब टीम इंडिया आईसीसी के सभी टूर्नामेंट जीतने में कामयाब रही. T20 वर्ल्ड कप, आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप, और आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के ऊपर टीम इंडिया ने कब्जा किया.
साल 2013 के अंदर टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट सीरीज में 4-0 से हराया, वनडे में ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से हराया और ऑस्ट्रेलिया को एकमात्र टी20 मैच में हराया. लेकिन अपने विदेशी दौरों पर न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका की टीम भारती हुई नजर आई. 2014 में एशिया कप के अंदर टीम इंडिया आरती हुई नजर आई, 2014 की आईसीसी T20 वर्ल्ड कप में श्रीलंका के हाथों टीम इंडिया हारी. लेकिन इस दौर में विराट कोहली का उदय होते हुए हम सभी ने देखा.
2014 के समय टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई थी जब अचानक ही सीरीज के बीच में महेंद्र सिंह धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट ले लिया और विराट कोहली को टीम इंडिया की कप्तानी सौंपी गई. विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया के अंदर अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन सीरीज 2-0 से सीरीज हार गयी. विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया को पहली विदेशी जीत श्रीलंका के अंदर मिली।
2015 विराट कोहली बने टीम इण्डिया के कप्तान
2015 के दौर में विराट कोहली की टीम इंडिया में शानदार वापसी हुई और यह टीम इंडिया के टेस्ट फॉर्मेट में कप्तान बना दिए गए. विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया को रविचंद्र अश्विन और रविंद्र जडेजा जैसे महान गेंदबाज मिले। विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका को विदेश में हराने में कामयाब रही. 2015 का आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप टीम इंडिया के लिए अच्छा नहीं रहा, जब टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार कर विश्वकप से बाहर हुई. लेकिन 2016 की शुरुआत में टीम इंडिया ने एशिया कप के ऊपर कब्जा किया। 2016 के आईसीसी T20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया सभी की फेवरेट टीम थी लेकिन वेस्टइंडीज के हाथों टीम इंडिया सेमीफाइनल में हार गई. 2016 आईसीसी वर्ल्ड कप टी20 में विराट कोहली को मैन ऑफ द सीरीज चुना गया था.
साल 2016 टीम इंडिया का एक घरेलू सीजन का सबसे स्वर्णिम दौर बोला जाएगा, जब टीम न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया को हराती हुई नजर आई. 10 सालों के बाद टीम इंडिया विराट कोहली की कप्तानी में एक बार फिर से टेस्ट में नंबर वन टीम बन गई. 2016 के अंदर महेंद्र सिंह धोनी ने वनडे क्रिकेट से भी कप्तानी छोड़ दी और विराट कोहली को टीम इंडिया का सभी फॉर्मेट में कप्तान बना दिया गया. कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ने बॉर्डरगावस्कर ट्रॉफी इंग्लैंड को टेस्ट वनडे और टी20 में हराया। इसी समय रविचंद्र अश्विन टीम इंडिया के लिए 250 सबसे तेज विकेट लेने वाले गेंदबाज बने.
2017 के अंदर टीम इंडिया ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के अंदर फाइनल के अंदर तक जगह बनाई और यहां पर टीम इंडिया पाकिस्तान के हाथों फाइनल में हारती हुई नजर आई थी. इसके बाद टीम इंडिया वेस्टइंडीज को उसी के घर पर हराती हुए नजर आई और श्रीलंका से भी टेस्ट और वनडे सीरीज जीतने में कामयाब रही.
2019 आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप की बात करें तो यहां पर टीम इंडिया ने शानदार खेल दिखाया और इंग्लैंड के अंदर सेमीफाइनल तक जगह बनाई थी. सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों हारने के बाद टीम इंडिया विश्व कप से बाहर हुई. विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया अब अभी तक की सबसे अच्छी टीम बनने में कामयाब रही है.
2. बीसीसीआई गवर्निंग बॉडी
बीसीसीआई जिसका पूरा अर्थ बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया यह गवर्निंग बॉडी भारत और भारत के बाहर इंडियन क्रिकेट टीम के क्रिकेट शेडूल और क्रिकेट को संभालती है. भारत में फर्स्ट क्लास क्रिकेट किस तरीके से आगे बढ़ेगा यह भी काम बीसीसीआई करती है बीसीसीआई का चयन या फिर बोले कि बीसीसीआई का गठन कब हुआ तो इस सवाल का जवाब है बीसीसीआई 1929 से काम करती हुई नजर आ रही है इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल में भारत की तरफ से बीसीसीआई अपना रुख रखती है. विश्व में सबसे अमीर कोई संगठन अगर है तो वह बीसीसीआई है साथ ही विश्व के सभी क्रिकेट बोर्ड ने बीसीसीआई सबसे अमीर है जिस ने साल 2006 से 2010 के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के सभी अधिकार 612,000,000$ अमेरिकन डॉलर में बेचे थे.
सलेक्शन कमेटी
खिलाड़ियों के चयन की बात करें तो बीसीसीआई एक सलेक्शन कमेटी का गठन करती है जो कि टीम इंडिया के अंदर कौन खिलाड़ी खेलेगा इसका चयन करती है. सलेक्शन कमेटी को बीसीसीआई ने पांच जोन में बांट रखा है जो जोनल स्तर पर युवा खिलाड़ियों का चयन करके बीसीसीआई को उनके नाम लगातार पहुंचाती रहती है. बीसीसीआई चेयरमैन इन जोनल सदस्यों का चयन करते हैं.
अभी वर्तमान में भारतीय सेक्टर्स की बात करें तो उस सिलेक्शन कमेटी में सुनील जोशी देवांग गांधी संदीप सिंह जतिन और हरविंदर सिंह शामिल है यह कमेटी 4 मार्च 2020 को बनाई गई है.
3. टीम का कलर- इंडियन क्रिकेट टीम जर्सी
इंडियन क्रिकेट टीम की जर्सी की बात करें तो टेस्ट फॉर्मेट में इंडियन क्रिकेट टीम भी दूसरी टीमों की तरीके से ही सफेद कपड़े पहनती है लेकिन अब इंडियन क्रिकेट टीम की टेस्ट जर्सी के ऊपर भी खिलाड़ियों के नंबर पड़े हुए नजर आते हैं. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में खिलाड़ी नीले रंग की टोपी और सफेद जर्सी पहनते हैं. अभी ही भारतीय क्रिकेट टीम की टेस्ट जर्सी के ऊपर बीसीसीआई के साथ में ओप्पो का लोगो लगा होता है क्योंकि वो कभी इंडियन क्रिकेट टीम के लिए स्पॉन्सर्स का काम कर रही है. साथ ही इंडियन क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के लिए जो किट बनाई जाती है उसकी मैन्युफैक्चर नाईक है.
भारतीय क्रिकेट टीम की अगर वनडे क्रिकेट फॉर्मेट के जर्सी की बात करें तो यह आसमानी और हल्के नीले रंग की जर्सी है, जिसका प्रयोग भारतीय क्रिकेट टीम कर रही है. आईसीसी के विश्व कप में भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी का रंग तो नीला ही रहता है लेकिन उसके ऊपर लिखे हुए चीजों का फॉर्मेट बदल दिया जाता है. विश्व कप 2019 के अंदर भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ मैच खेलते हुए ऑरेंज कलर की जर्सी का इस्तेमाल किया था.
4. भारत में क्रिकेट ग्राउंड- लिस्ट ऑफ इंडियन क्रिकेट ग्राउंड
भारत में अब इस समय कई सारे विश्व प्रसिद्ध और आधुनिक तकनीक सुविधाओं से भरे हुए क्रिकेट ग्राउंड हैं. इन क्रिकेट ग्राउंड को अब विश्व के अच्छे उन्नत देशों से भी मान्यता प्राप्त होने लगी है. कुछ समय पहले तक भारत में क्रिकेट ग्राउंड की बेहद कमी थी और पिच को लेकर भी कई सारे विवाद होते हुए नजर आए हैं लेकिन इस समय स्थिति एकदम अलग हो चुकी है. भारत के अधिकतर क्रिकेट ग्राउंड राज्य क्रिकेट बोर्ड के अंतर्गत आते हैं और इनका रखरखाव राज्य क्रिकेट बोर्ड ही करते हुए दिख रहे हैं. इन क्रिकेट मैदानों पर मैच के समय टिकट से जो पैसा आता है उसका एक अधिक और अच्छा भाग इन क्रिकेट राज्य बोर्ड को दिया जाता है. इन पैसों का उपयोग क्रिकेट ग्राउंड के रखरखाव और मेंटेनेंस पर किया जाता है.
भारत के पहले क्रिकेट ग्राउंड की बात करें तो बॉम्बे जिमखाना भारत का पहला क्रिकेट ग्राउंड बोला जा सकता है जिसने की सबसे पहले पूर्ण रूप से एक क्रिकेट मैच का आयोजन किया था. 1827 में इसी मैदान पर पारसी और यूरोप के बीच में एक मैच हुआ था. जिमखाना क्रिकेट ग्राउंड में 1933 में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए सबसे पहले टेस्ट मैच का आयोजन किया। 1933 में हुई भारत की टेस्ट सीरीज के अंदर दूसरा और तीसरा मैच ईडन गार्डन और चेपक मैदान पर खेला गया था.
स्वतंत्र भारत में दिल्ली का फिरोजशाह कोटला ग्राउंड में पहला क्रिकेट मैदान है जिसके ऊपर भारतीय क्रिकेट टीम ने कोई टेस्ट मैच खेला। 1948 में वेस्टइंडीज के साथ भारतीय क्रिकेट टीम ने फिरोजशाह कोटला ग्राउंड पर ही टेस्ट मैच खेला था. अभी इस समय आधिकारिक रूप से 21 स्टेडियम ऐसे हैं जो कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम है. इन 21 क्रिकेट मैदानों पर अभी तक 1 या उससे अधिक टेस्ट मैच का आयोजन किया जा चुका है. कोलकाता के ईडन गार्डन पर अभी तक सबसे अधिक टेस्ट मैच खेले गए हैं.
आइए अब नजर डालते हैं भारत के कुछ प्रमुख क्रिकेट के मैदान पर-
ईडन गार्डन कोलकाता में मौजूद है और यहां पर 67000 लोग एक साथ मैच देख सकते हैं. 1934 में पहली बार यहां पर टेस्ट मैच खेला गया अभी तक इस मैदान पर 41 टेस्ट मैच खेले जा चुके हैं.
अरुण जेटली क्रिकेट मैदान दिल्ली में स्थित है और यह स्टेडियम 48000 लोगों को एक साथ मैच दिखा सकता है. 1948 में इस मैदान पर पहली बार कोई टेस्ट मैच खेला गया था, अभी तक यहां पर 34 टेस्ट मैच खेले जा चुके हैं.
एम ए चिदंबरम स्टेडियम यह चेन्नई में स्थित है और यहां पर 33000 लोग बैठ सकते हैं. 1934 में पहली बार यहां पर टेस्ट मैच खेला गया था, अभी तक इस मैदान पर 32 टेस्ट मैच खेले जा चुके हैं.
वानखेड़े स्टेडियम , यह मैदान मुंबई में स्थित है और यहां पर 33000 लोग एक साथ बैठ सकते हैं. 1975 में पहली बार यहां पर कोई टेस्ट मैच खेला गया अभी तक इस मैदान पर 25 टेस्ट मैच हो चुके हैं.
चिन्नास्वामी स्टेडियम यह क्रिकेट मैदान बैंगलोर में स्थित है. इस मैदान के ऊपर 40000 लोगों के बैठने की सुविधा उपलब्ध है. पहली बार क्रिकेट स्टेडियम का इस्तेमाल 1974 में किया गया था.
Motera Stadium: World's largest Cricket Stadium in Gujarat विश्व का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम भारत में है इसका नाम सरदार पटेल स्टेडियम अहमदाबाद है. इससे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम विश्व में कहीं भी मौजूद नहीं है, इस मैदान पर एक साथ 110000 लोग बैठ सकते हैं.
5.भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान | List of India national cricket captains
भारतीय क्रिकेट टीम के कई महान कप्तान रह चुके हैं और इन खिलाड़ियों ने निश्चित रूप से देश के लिए अच्छी सेवा का उदाहरण पेश किया है. भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तानों की बात करें यह तो अभी तक 33 कप्तान ऐसे रहे हैं जिन्होंने कि भारतीय क्रिकेट टीम को कम से कम एक टेस्ट मैच में प्रतिनिधित्व किया है. वहीं अभी तक 6 कप्तान ऐसे हैं जिन्होंने की 25 से ज्यादा मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की है साथ ही 6 कप्तान ऐसे रहे हैं जो कि केवल वनडे क्रिकेट टीम के कप्तान रहे हैं और यह टेस्ट टीम की कप्तानी नहीं कर पाए.
भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान | भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान
भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान की बात करें तो यह सीके नायडू रहे हैं जिन्होंने कि इंग्लैंड के दौरे पर 1932 में भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया था.1947 स्वतंत्रता के बाद जब भारतीय क्रिकेट टीम स्वतंत्र रूप से खेलना शुरू हुई तो उसके पहले कप्तान लाला अमरनाथ बनाए गए. लाला अमरनाथ की कप्तानी में ही भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली टेस्ट जीत दर्ज की थी और साथ ही पहली बार कोई टेस्ट सीरीज जीतने में भी टीम कामयाब रही थी. 1952 और 53 में भारतीय क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान को हराया था. इसके साथ ही टीम इंडिया ने कई और कप्तान भी देखे हैं जिनमें कि विजय हज़ारे, पॉली उमरीगर, नारी कॉन्ट्रैक्टर का नाम आता है.
नवाब पटौदी, मंसूर अली खान पटौदी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके हैं जिन्होंने की 36 टेस्ट मैचों में टीम इंडिया का नेतृत्व किया है. 1961-62 से 1970 का यह दौर था कि यह टीम इंडिया के कप्तान रहे. 1967 और 68 में पटौदी ने टीम इंडिया का नेतृत्व न्यूजीलैंड के उस दौरे पर भी किया था जहां टीम इंडिया जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी, इसके बाद 1970-71 में अजीत वाडेकर को टीम इंडिया की कप्तानी दी गई थी. अजीत वाडेकर की कप्तानी में ही टीम इंडिया वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीतने में कामयाब रही थी. इसी दौर में वनडे क्रिकेट टीम के कप्तानों की बात की जाए तो श्रीनिवासन वेंकटराघवन, बिशन सिंह बेदी जैसे कप्तान टीम इंडिया ने देखें। सुनील गावस्कर को भी टीम इंडिया का कप्तान बनाया जा चुका है. सुनील गावस्कर की कप्तानी में टीम इंडिया ने 47 में से 9 टेस्ट में जीते थे और वहीं से 30 वनडे में से 14 वनडे मैच टीम इंडिया जीतने में कामयाब रही.
80 के दशक में कपिल देव को टीम इंडिया की कप्तानी दी गई थी और उस दौर में कपिल देव को सबसे सफल कप्तान बताया जाता है. कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया ने 1983 का आईसीसी क्रिकेट विश्व कप अपने नाम किया था. इसके बाद दिलीप वेंगसकर, रवि शास्त्री, श्रीकांत जैसे खिलाड़ियों ने टीम इंडिया की कप्तानी की. मोहम्मद अजहरुद्दीन को टीम इंडिया का नियमित कप्तान बनाया गया, जहां यह क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में कप्तान बनाए गए थे. इन्होंने 47 टेस्ट मैच में टीम इंडिया की कप्तानी की जहां पर 14 टेस्ट में टीम इंडिया जीतने में कामयाब रही और 174 वनडे मैचों में से 90 मैच इंडिया टीम की कप्तानी में जीत गई.
इसके बाद कुछ समय के लिए सचिन तेंदुलकर को भी टीम इंडिया की कप्तानी सौंपी गई. 90 के अंतिम दशक में सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट मैचों में टीम इंडिया की कप्तानी की थी. कुछ मैचों के लिए टीम इंडिया को कप्तान बनाया गया था लेकिन सौरव गांगुली ने जब टीम इंडिया की कमान संभाली तो यह एक लम्बे समय के लिए टीम इंडिया के कप्तान रहे. सौरव गांगुली, टीम इंडिया के एक समय सबसे सक्सेसफुल सफल कैप्टन बोले गए। सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया विदेश में कई अहम् सीरीज जीतने में कामयाब रही और 140 वनडे मैचों में से 76 वनडे टीम इण्डिया जीत गई. 2002 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी, 2003 वर्ल्ड कप फाइनल सौरव की कप्तानी में अहम रहे थे. इसके बाद राहुल द्रविड़ को टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया। तब वेस्टइंडीज के अंदर 30 साल बाद इण्डिया सीरीज जीती थी.
सितंबर 2007 के अंदर महेंद्र सिंह धोनी को टीम इंडिया की कप्तानी सौंप दी गई. महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने आईसीसी की सभी ट्रॉफी के ऊपर कब्जा किया है. 2007 का टी20 विश्व कप 2011, 2013 का क्रिकेट विश्व कप और इसके बाद 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी टीम इंडिया ने धोनी की कप्तानी में जीती। 2007 में ही अनिल कुंबले को कुछ समय के लिए टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया था. बाद में अनिल कुंबले से धोनी ने टेस्ट टीम की कप्तानी ले ली थी.
वर्तमान में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली हैं और विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया सबसे बेहतर प्रदर्शन करती हुई नजर आई है. 19 टेस्ट मैचों में लगातार टीम इंडिया विजय दर्ज करने में कामयाब रही और इसके साथ न्यूजीलैंड इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों को भी भारत में कड़ी टक्कर मिल पाई है. अभी वर्तमान में इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली हैं और क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में विराट कोहली ही कप्तानी कर रही हैं.
6. स्क्वायड- भारतीय क्रिकेट टीम खिलाड़ी
साल 2020 में टीम इंडिया की तस्वीर पूरी तरीके से बदल दी गई है इस समय टीम इंडिया के अंदर युवा खिलाड़ी मौजूद हैं. टीम इंडिया के कुछ प्रमुख खिलाड़ियों की लिस्ट बनाएं तो इस लिस्ट में सीनियर खिलाड़ी नजर नहीं आएंगे यहां तक कि महेंद्र सिंह धोनी भी अब टीम इंडिया से बाहर हैं और उनके टीम में खेलने के ऊपर संशय बरकरार है. आइए नजर डालते हैं टीम इंडिया के प्रमुख खिलाड़ियों पर जो अभी इंडियन क्रिकेट टीम की स्क्वायर में मौजूद हैं-
कप्तान और मध्यक्रम के बल्लेबाज
विराट कोहली
टेस्ट उप कप्तान और मध्यक्रम के बल्लेबाज
अजिंक्य रहाणे
वन डे और टी-20 के उप कप्तान एवं ओपनिंग बल्लेबाज
रोहित शर्मा
ओपनिंग बल्लेबाज
मयंक अग्रवाल, पृथ्वी शा, शिखर धवन
मध्यक्रम के बल्लेबाज
लोकेश राहुल, श्रेयस अय्यर, मनीष पांडे, चेतेश्वर पुजारा, हनुमा विहारी
ऑल राउंडर
रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा, केदार जाधव, हार्दिक पांड्या, कुणाल पांड्या, विजय शंकर, शिवम दुबे, वॉशिंगटन सुंदर
विकेटकीपर
महेंद्र सिंह धोनी, दिनेश कार्तिक, ऋषभ पंत, संजू सैमसन, रिद्धिमान साहा
तेज गेंदबाज
खलील अहमद, जसप्रीत बुमराह, दीपक चहर, सिद्धार्थ कौल, भुवनेश्वर कुमार, शार्दुल ठाकुर, नवदीप सैनी, मोहम्मद शामी, इशांत शर्मा, उमेश यादव
स्पिन बॉलर
कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल.
7. कोचिंग स्टाफ
इंडियन क्रिकेट टीम के अगर कोचिंग स्टाफ की बात करें तो अभी इंडियन क्रिकेट टीम के हेड कोच और अभी शास्त्री हैं.
भारतीय क्रिकेट टीम कोच- हेड कोच- रवि शास्त्री
बैटिंग कोच- विक्रम राठौर
बॉलिंग कोच- भारत अरुण
फील्डिंग कोच- रामकृष्ण श्रीधर
मैनेजर- ग्रीस डोंगरे
फिजियोथैरेपिस्ट- नितिन पटेल
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